उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने गन्ना किसानों को पिछले तीन सालों में 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। भुगतान के साथ ही सरकार ने सबसे ज्यादा जोर पुरानी मिलों के आधुनिकीकरण और नयी मिलों की स्थापना पर दिया।
सरकार ने सबसे ज्यादा जोर पुरानी मिलों के आधुनिकीकरण और नयी मिलों की स्थापना पर दिया। इस क्रम में 11 मिलों की क्षमता बढ़ायी गयी और गोरखपुर के पिपराइच, बस्ती के मुंडेरा और बागपत के रमाला में अत्याधुनिक और अधिक क्षमता की नई मिलें लगायी गयीं।
2007 से 2017 के दौरान बंद होने वाली 29 मिलों को देखते हुए नयी मिलों को खोलना और पुरानी मिलों का आधुनिकीकरण किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम रहा। इसके अलावा 100 घंटे के अंदर खांडसारी इकाईयों को ऑनलाइन लाइसेंस जारी करने की व्यवस्था की गई। मौजूदा समय में 105 इकाईयों को लाइसेंस निर्गत किया जा चुका है।
इसके अलावा गन्ना किसानों को अब अपनी फसलों के अवशेषों के प्रबंधन के लिए महंगी मशीनों को खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। प्रदेश की 126 सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों के फार्म मशीनरी बैंक में 378 फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र दिए गए हैं, जो चीनी मिल समितियों से न्यूनतम किराये पर गन्ना किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।
प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव गन्ना विकास, संजय भूसरेड्डी ने बताया गन्ने की खेती की लागत कम करने और आधुनिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यूपी सरकार ने सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियों में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना की है।
इस योजना के जरिए गन्ना खेती में उपयोग में आने वाले फसल अवशेष प्रबन्धन से संबंधित 12 प्रकार की 35 मशीनों को शामिल किया गया है। ऐसे किसान जो इन मशीनों को नहीं खरीद सकते हैं, उन्हें किराए पर गन्ना समितियों के माध्यम से यह सभी मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी।