जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ मंदिर में सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के मुख्य अभियुक्त के वकील असीम साहनी की एडवोकेट जनरल के तौर पर नियुक्ति को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कठुआ दुष्कर्म एवं हत्याकांड के मुख्य आरोपी के वकील असीम साहनी की अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) के तौर पर नियुक्ति को चिंताजनक बताया है।
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अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, “यह फैसला चिंताजनक है और ऐसा है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती.” उन्होंने लिखा की अगर पीड़िता की वकील को इस फ़ैसले से कोई फर्क नहीं पड़ता तो हमे उन्हें पीड़िता को इन्साफ दिलाने का काम करने देना चाहिए।
The decision is both inexplicable & worrisome but if the victim’s lawyer is not unduly concerned by this development the rest of us should just let her get on with the job of ensuring justice for the young victim. https://t.co/flBso5TABb
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 18, 2018
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इस नियुक्ति को बलात्कारियों की रक्षा का इनाम करार दिया था। महबूबा ने ट्वीट कर कहा कि यह विडंबनापूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय न्याय का विश्व दिवस मनाने के ठीक एक दिन बाद, भयानक कठुआ बलात्कार और हत्या में डिफेन्स काउंसिल को एडिशनल एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया है।
Ironic that a day after celebrating World Day for International Justice, the defence counsel in the horrific rape & murder Kathua case has been appointed as Additional Advocate General. 1/3
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 18, 2018
उन्होने आगे लिखा कि कथित हत्यारों और बलात्कारियों की रक्षा करने वाले लोगों को पुरस्कृत करना घिनौना और न्याय की भावना का चौंकाने वाला उल्लंघन है। ऐसा कदम केवल हमारे समाज में बलात्कार संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए काम करेगा। उम्मीद है कि राज्यपाल हस्तक्षेप करेंगे।
Rewarding those who defend alleged murderers & rapists is abhorrent & a shocking violation of the spirit of justice. Such a move will only serve to encourage the rape culture rampant in our society.
Expect the @jandkgovernor to intervene. 2/2— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 18, 2018
वहीं पीड़िता की वकील दीपिका सिंह राजावत ने बीबीसी हिंदी से कहा, “हमें इस फ़ैसले पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हमे अपने रास्ते से भटकने की भी ज़रूरत नहीं है।” उन्होंने कहा कि असीम साहनी एक वकील हैं और अगर कोई उनसे अपना केस लड़ने को कहता है तो यह उनकी ज़िम्मेदारी बनती है कि वो उसे इसांफ़ दिलाएं।
दीपिका सिंह राजावत ने कहा उन्हें “इस फ़ैसले में किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नज़र नहीं आता” और इस में कुछ भी ग़लत नहीं है। उन्होंने कहा कि कठुआ बलात्कार का केस पहले से पठानकोट की अदालत में लड़ा जा रहा और असीम साहनी जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में एडिशनल एडवोकेट जनरल बने हैं। वो पठानकोट कोर्ट में इस मामले में भला कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं?